जिलें में अगर व्यक्ति थोड़ी सी सतर्कता बरतें तो सड़क हादसे पर लगाम लगाया जा सके। वाहन चलाते समय बरती जा रही लापरवाही ही सड़क हादसे का मुख्य कारण है अगर व्यक्ति थोड़ी सी सतर्कता बरते तो वह हादसों को काफी कम कर सकता है।भटगांव क्षेत्र में खासकर ट्रक और बाइक चालकों का नशा का सेवन कर चलाने से अन्य वाहन चालकों के लिए भी जानलेवा बन जाता है जिले में यातायात नियमों की खुले आम धज्जियां उड़ाई जा रही है, जबकि संसाधन के अभाव में प्रशासन भी मूक दर्शक बनी बैठी है क्षेत्र में यातायात मानकों के मुताबिक नियमों व निर्देशों को लागू कराने में विभाग भी फेल है।
जिलें 85 फीसद बाइक चालक बिना हेलमेट के सफर करते हैं जिससे अधिकांश सड़क दुर्घटनाओं में बाइक सवार की मौत हो जाती है या फिर वो गंभीर रूप से जख्मी हो जाते हैं।
स्कूली छात्र-छात्राओं को पढ़ाया जाता है यातायात नियमों का पाठ* :
स्कूलों में जाकर छात्र छात्राओं को यातायात नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। अभिभावकों से भी नाबालिगों को दोपहिया वाहन नहीं देने की अपील की जा रही है लेकिन इसका स्कूली बच्चों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता दिखाई दे रहा है जो लगातार स्पोर्ट्स बाइक, सामान्य बाइक या स्कूटी पर सवार होकर स्कूल आना जाना कर रहे हैं बीते एक साल में पुलिस प्रशासन ने यातायात नियमों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ बीच बीच में कार्रवाई भी की है। इसके अलावा बीते वर्ष यातायात नियमों का पालन न करने वालों पर चालान काटकर जुर्माना वसूलने के साथ-साथ समझाइश भी दिया गया था लेकिन इस समझाइश का अब तक कोई प्रभाव पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है।
पुलिस व जिला प्रशाशन बन रहे मूक दर्शक:-
यातायात नियमों को ताक पर रखने वाले लोगों के खिलाफ पुलिस सटीक कार्रवाई नहीं करती। पुलिस व जिला प्रशासन खानापूर्ति के लिए केवल लोगों को बीच-बीच में नियमों का पाठ पढ़ाती है। उसके बाद बिल्कुल उसी अंदाज में यातायात के नियमों का उल्लंघन होता है, जिससे हादसे होते हैं। जिले में बढ़ते हादसों के पीछे सड़कों पर मनमाने तरीके से लगाई जा रही अवैध पार्किंग भी है। मुख्य सड़कों के साथ लगाई जा रही पार्किंग से न केवल कई हादसे अब तक घटित हो चुके हैं, बल्कि इस कारण आए दिन जाम की समस्या भी उत्पन्न हो रही है। सड़कों पर लग रही अवैध पार्किग को लेकर यातायात पुलिस का रवैया सुस्त है। जिले में आए दिन हो रहे अधिकतर हादसों के पीछे ओवरलोड वाहन भी हैं। इसकी सच्चाई पुलिस विभाग से मिल रहे आंकड़ों से भी लगाई जा सकती है। ये ओवरलोड वाहन किसी न किसी व्यक्ति की जान ले लेते हैं। दुर्घटनाओं को अंजाम दे रहे ओवरलोड वाहनों पर नंबर प्लेट भी कम ही दिखाई देता है। बिना नंबर प्लेट के वाहन का संचालन करने के पीछे मकसद चालान से बचना होता है लेकिन ऐसे ही वाहन हादसे की वजह बनते है और किसी न किसी की जान ले लेते हैं।
हर वर्ष मनाया जाता है यातायात जागरूकता अभियान:-
हर वर्ष जागरूकता अभियान शुरू होते ही यातायात माह का शुभारंभ बड़े ही सक्रियता से किया जाता है। अफसर फीता काटकर यातायात नियमों का पालन करने की दुहाई देते हैं। यातायात नियमों को लेकर जानकारी भी दी जाती है। उल्लंघन करने वालों को सजा का प्रावधान भी बताया जाता है। चौराहों व तिराहों पर यातायात नियमों को नजरअंदाज कर चलने वाले चालकों के खिलाफ कार्रवाई भी होती है। लेकिन यह सब सख्ती महज एक माह की होती है। अंतिम दिन होने के साथ यातायात माह जैसे ही खत्म होता है, पुलिस सख्ती करना तो दूर वाहनों की जांच के नाम पर भी बस जिम्मेदारी का निर्वहन करती है। नतीजा यातायात जागरूकता माह जाते ही दो पहिया पर तीन से अधिक सवारी, बिना हेलमेट व सीट बेल्ट के ड्राइविग जैसे यातायात नियमों को ठेंगा दिखाते लोग पुलिस के सामने से गुजरने लगते हैं।
लोडिंग वाहनों में ढोते हैं मजदूर
शहर में प्रतिदिन लोडिंग वाहनों से मजदूरों को ढोते हुए देखा जा सकता है। जरही और भटगांव क्षेत्र से मजदूरों को प्रतिदिन वाहनों में भरकर ले जाया और लाया जाता है। इन लोडिंग वाहनों में क्षमता से अधिक मजदूरों को भरकर ले जाया जा रहा है, जिस पर न तो यातायात विभाग का कोई ध्यान है और न ही आरटीओ से कोई कार्रवाई हो रही है। ऐसे में किसी दिन बड़ा हादसे होने की संभावना भी बनी हुई है। पूर्व में कई बार ऐसे हादसे हो भी चुके हैं। उसके बाद भी इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। जब कभी हादसा होता है तो दिखावे की कार्रवाई कर जिम्मेदार अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
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शरद चंद्रा
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