गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के बैनर तले कर रहे हैं किसान आंदोलन
किसानों का आरोप 150 के आसपास प्रकरण है लंबित
बहुत मान मुनवल्ल के बाद इमरजेंसी सेवा के लिए कुछ कर्मचारियों को आज खदान में जाने दिया आंदोलनकारी ने
(शशी रंजन सिंह - द डेली न्यूज़)
सूरजपुर/भटगांव.:-अधिग्रहित भूमि के बदले नौकरी और मुआवजे की मांग को लेकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के बैनर तले किसानों ने पिछले 2 दिनों से भटगांव क्षेत्र की शिवानी भूमिगत कोयला खदान को बंद करा दिया है व गेट के सामने सैकड़ो महिला व पुरुष डट गए.जिसकी वजह से हजारों टन कोयला का उत्पादन नहीं हो पा रहा है व कोयला कम्पनी को लाखों का नुकसान हो चूका है.वही सैकड़ो कोयला कामगार खदान में जाने में असमर्थ हैं. खदान बंद होने से सकते में आए एसईसीएल प्रबंधन व प्रशासन द्वारा आंदोलनकारियों से वार्ता की जा रही है,लेकिन समाचार लिखे जाने तक खदान में कोयला उत्पादन प्रारंभ नहीं किया जा सका है.
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और बंशीपुर के किसानों का आरोप है की एसईसीएल प्रबंधन को पूर्व में अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा गया था और लिखा गया था कि माँग पूरी नही होने पर 21 सितंबर से खदान बंद कराया जायगा. आंदोलनकारियो का आरोप है की पिछले 10 वर्षों से किसानों की सैकड़ो एकड़ जमीन को एसईसीएल भटगांव क्षेत्र प्रबंधन द्वारा कोयला उत्खनन के लिए अधिग्रहित कर लिया गया था,व लगातार किसानों को आश्वासन दिया जा रहा था कि उन्हें नौकरी और मुआवजा मिलेगा,लेकिन दस वर्ष बीत जाने के बाद भी किसानों को उनके हक का नौकरी व मुआवजा नहीं मिलने से किसानों में भारी आक्रोश था.इसी कड़ी में अपनी मांगों को लेकर के गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और बंसीपुर के किसानों ने बुधवार की तड़के सुबह 4:00 बजे अचानक से सैकड़ों की संख्या में जाकर शिवानी खदान के गेट को बंद करा कर वही सामने धरना देकर के बैठ गए और गेट को बंद करा दिया जिसे खदान में अफ़रा तफरी का माहौल निर्मित हो गया,प्रबंधन में हड़कंप मच गया.सुबह होते ही एसईसीएल प्रबंधन सामने आया और और प्रशासन की मदद से आंदोलनकारी किसानों से बातचीत का दौर शुरू किया.आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि कोयला खदान प्रबंधन के द्वारा उनकी जमीन का अधिग्रहण किया गया था इस वादे के साथ कि उन्हें नौकरी और मुआवजा दिया जाएगा.कुछ को नौकरी दे कर खदान खोल कर लगातार कोयले का उत्खनन करके लाभ कमाया जा रहा है लेकिन हम सब किसान जब भी नौकरी व मुआवजा की बात करते तो हमें तरह-तरह के कारण और बहाने बना करके लौटा दिया जाता है.मजबूरी में आज हम सब खदान को बंद करने के लिए बाध्य हुए हैं.
गुरुवार को एसडीएम प्रतापपुर तहसीलदार प्रतापपुर नायब तहसीलदार जरही एसईसीएल महाप्रबंधक कार्यालय के अधिकारी व आंदोलनकारियों के बीच लगातार वार्ता चल रही है लेकिन समाचार लिखे जाने तक मामले का समाधान नहीं हो सका और आंदोलनकारी डटे हुवे है. आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं की जाएगी तब तक तुझे सदा मुझे प्ले करो
खदान बंद आंदोलन से एसईसीएल को पचास लाख से ज्यादा का नुकसान का अनुमान
नौकरी व मुआवजा की मांग को लेकर चल रहे खदान बंद आंदोलन से एसईसीएल कम्पनी को अब तक पचास लाख से ज्यादा का नुकसान हो चूका है. दो दिन से शिवानी खदान में एक छटाक कोयले का उत्पादन नहीं हुआ है. जबकि समान्य दिनों में प्रतिदिन 600 टन से ज्यादा कोयले का उत्पादन होता है.अभी तक इस आंदोलन की वजह से एसईसीएल प्रबंधन को 1200 टन कोयला उत्पादन नहीं कर पाने का नुकसान हुआ है. अगर इसको रुपए में देखें तो अब तक पचास लाख रुपए से ज्यादा की क्षति हो चूका
कामगार को बैठा कर देना पड़ रहा है वेतन
खदान बंद आंदोलन की वजह से लगभग 600 कामगार जो शिवानी खदान में काम करते थे उनको 2 दिन से बैठा करके वेतन देना पड रहा है उसका नुकसान अलग है. वही कामगारों का कहना है कि हम काम करने खदान आ रहे हैं हमें काम करने के लिए अनुकूल माहौल देना प्रबंधन का काम है. खदान के गेट के पास कर्मचारी हाजिरी लगा करके धरना स्थल से कुछ दूर पर बैठ करके अपना समय काट कर के घर चले जा रहे हैं.
अब तक कई दौर की वार्ता के बाद भी किसान मानने को तैयार नहीं है,उनका कहना है कि जब तक उन्हें नौकरी व मुआवजा के लिए ठोस आश्वाशन नहीं मिलेगा तब तब वह खदान की गेट से नहीं हटेंगे चाहे कितने दिन न बैठना पड़े.
दिल्ली किसान आंदोलन की तर्ज पर यहां भी डटे किसान
गोड़वाना गड़तंत्र पार्टी के बैनर तले चल रहे इस आंदोलन में इस बार आंदोलनकारी आर पार की लड़ाई की लड़ने की तैयारी करके आए हुए हैं.किसान आंदोलन की तरह आंदोलनकारी इस बार खदान के गेट के सामने टेंट लगाकर बैठ गए हैं और वहीं पर किसानों के द्वारा खाना बना करके लंगर का आयोजन किया जा रहा है.जिस तरह दिल्ली में किसान आंदोलन हुवा था उसी तरह इस आंदोलन में भी महिला और पुरुष और बच्चे भी शामिल हैं,जो पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं.
हमसे जुड़ें