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दूध निकाल कर सड़कों पर मरने के लिए पशुओं को छोड़ देते हैं पशुपालकI

रोका छेका योजना को नगर पंचायत भटगांव दिखा रहा ठेंगा I



सूरजपुर/जरही/भटगांव:- सूरजपुर जिले के कोयलांचल नगरी भटगांव क्षेत्र के नगर पंचायत भटगांव जो कि स्वछता और विकास के लिए मिसाल माने जाने वाला नगर पंचायत कहलाता है।
लेकिन इन दिनों  नगर का बहोत बुरा हाल है । यहाँ हर रोज साम होते ही रोड के बीचों बीच पशु आकर बैठ जाती है ।पशु पालक अपने घर मे न रख कर उन्हें बिना किसी परवाह के रोड में छोर दिया जाता है जिससे रोज आने जाने वाले व्यक्ति परेशान होते है और कभी कभी तो कुछ वाहन चालक पशुओं को बचाने के चलते खुद ही दुर्घटना ग्रस्त होजाते है।दूध निकालकर पशुओं को सड़कों पर मरने के लिए छोड़ दिया जा रहा है। दिन रात पशु चारा पानी की तलाश में तड़पती गाय इर्द-गिर्द सड़क पर विचरण करते रहती हैं ।कुछ पशुपालक तो दूध नहीं देने वाली पशुओं को हमेशा के लिए सड़कों पर छोड़ देते हैं, जो सड़क पर अपना स्थाई डेरा बना रखी हैं ।
दूध निकालकर सड़कों पर छोड़ देते हैं जिससे नगर वासियों को आवाजाही में भारी दिक्कत होती है।
गोबर से निकलने वाली दुर्गन्ध लोगों के लिए परेशानियों का कारण बना हुआ है पशुपालकों के खिलाफ शिकायत के बाद भी नगर पंचायत खुद को असहाय महसूस करती है।नगर पंचायत से नगर वासियों द्वारा बार-बार शिकायत करने के बाद भी नगर पंचायत कुछ करने में असमर्थ पा रही है जिससे पशुपालकों का हौसला बुलंद है ।सड़क पर और सड़क के किनारे गोबर फेंक कर स्वच्छता मिशन को ठेंगा दिखा रहे है पशुपालक।

पशुपालक छोड़ देते हैं अपने पशुओं को:-
पशुपालक भी पशुओं का दूध निकालकर उन्हें खुला छोड़ देते है. नगर पंचायत को चाहिए कि ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें. आवारा पशुओं को पकड़ कर अपने पास जब्त कर जुर्माना बांध दें. ताकि इस समस्या का समाधान हो सके. बताते चलें कि नगर में आवारा पशुओं की समस्या नासूर बनती जा रही है.
यह समस्या अब विकराल रूप लेती जा रही है. नगर पंचायत भटगांव की बात करें तो त्रिपाठी चौक, एसईसीएल चौक सहित अन्य मुहल्ला में मुख्य मार्ग पर इन पशुओं का जमावड़ा के कारण ना केवल यातायात अवरुद्ध हो रहे है बल्कि दुर्घटनाएं भी बढ़ रही है. माह में दो-चार वाहन दुर्घटना इन आवारा पशुओं के कारण हो जाती है. नगर के प्रति नैतिकता तक नहीं रखने वाले चंद पशुपालकों की लापरवाही का खामियाजा नगर भुगत रहे है. आवारा पशु घातक सिद्ध हो रहा है

पशुओं से हर दिन होती है सड़क दुर्घटना:-
पशु पालकों द्वारा अपनी मवेशियों को दूध निकालकर सड़कों पर छोड़ने से पशुओं का रात दिन सड़के बसेरा बनी हुई है ।सड़कों पर पशुओं के स्थाई बसेरा से लोगों का काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पशु भी चोटिल होकर मर रहे हैं परंतु इसकी फिक्र पशुपालकों कि नहीं है । जरही-भटगांव का मुख्य मार्ग हो या या कॉलोनी की सड़क हर जगह पशु अपना डेरा जमाए हुए हैं। जिससे दुर्घटनायें निरंतर हो रही है। वही वाहनों के तेज गति से आने पर जहां मवेशी की मौत हो रही है तो वही वाहन चालक की भी मौत हो जाती है। ग्रामीण और पशुपालक भटगांव मुख्य मार्ग से लेकर जरही तक पड़ने वाले रोड में इन मवेशियों को छोड़ देते हैं और यहां पशु दिन भर चरने के बाद शाम को रोड पर आकर बैठ जाते हैं जिससे आने जाने वालों को काफी परेशानी होती है ।कई बार तो रात के अंधेरे में अज्ञात वाहनों की चपेट में आवारा पशु आ जाते हैं जिस कारण उनकी मृत्यु हो जाती है ।

हादसे को आमंत्रण
आवारा पशुओं के कारण हमेशा हादसे की संभावना बनी रहती है. सड़कों पर बीच में घूमने के कारण यह आए दिन वाहान चालक टकराते रहते हैं. जिसके कारण लोग गिरकर घायल हो जाते हैं. पैदल चलने वालों को भी कभी-कभी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

काजी हाउस बना शोपीस- 
नगर पंचायत भटगांव का  काजी हाउस में एक भी आवारा पशु नहीं है। पहले नगर पंचायत द्वारा सड़क में विचरण करने वाले पशुओं को पकड़ कर काजी हाउस में रखा जाता था परंतु 3 वर्षों से काजी हाउस पशुओं से मुक्त है। नगर पंचायत द्वारा पशुओं को धरपकड़ बंद कर दिए जाने से सड़क ही अघोषित काजी हाउस बना हुआ है । जिससे सड़क दुर्घटना में निरंतर वृद्धि हो रही है। संबंधित प्रशासन को चाहिए कि पशुपालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें ताकि सड़कों पर मरने वाले पशुओं को बचाया जा सके।

पहले भी हो चुकी है दुर्घटनाये, लेकिन अब भी नगर पंचायत गहरी नींद में:-

जरही भटगांव मुख्य मार्ग के त्रिपाठी चौक में पहले भी दुर्घटनाये हो चुकी है जिसमे बहुत लोगो की जान जा चुकी है और अभी भी रोजाना वाहन चालक दुर्घटना ग्रस्त होने से बाल बाल बचते हैं।


पशुपालको को मिलती है सरकार से गौपालन के लिए सभी सेवाएं:-
सरकार ने पशु पालकों के पशु के आहार से लेकर बीमा और उसे पालन-पोषण करने के लिए अनेक ढेरों योजनाएं चला रखी है। यही नहीं पशुओं के नाम से बैंक ऋण भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। लेकिन बावजूद इसके पशु पालक पशुओं को पालने की जगह मवेशियों को सड़कों पर छोड़ रहे हैं। जो वाहन चालकों के लिए सिर दर्द बना हुआ है।वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दल  के नाम पर वाहवाही लूटने में लगे हुए हैं और गाय के नाम पर राजनीति करने में लगे हुए हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा और सरंक्षण काे लेकर कोई ठोस काम नहीं किया जा रहा है। हालत यह है कि  भटगांव मुख्य मार्ग पर सैकड़ों की संख्या में मवेशी डेरा जमाए हुए हैं।

क्या है रोका-छेका योजना 
मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप गांवों में खरीफ फसलों की मवेशियों से सुरक्षा के उद्देश्य से खुले में चराई की रोकथाम के लिए रोका-छेका योजना शुरू की गई है | रोका-छेका छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा है। इसके जरिए फसलों की सुरक्षा के लिए ग्रामीण इस बात का संकल्प लेते है कि खरीफ फसल के दौरान अपने मवेशियों को बाड़े और गौठान में ही रखेंगे। छत्तीसगढ़ राज्य में प्रदेश सरकार द्वारा फसल उत्पादकता को बढ़ावा देने के साथ ही दलहनी – तिलहनी फसलों की खेती सब्जी, फलोत्पादन एवं रबी की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। बारहमासी खेती को बढ़ावा देने और फसलों की सुरक्षा के लिए पशुओं की खुले में चराई को रोकना जरूरी है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर रोका-छेका की प्राचीन परंपरा को वर्तमान परिवेश में ग्रामीणों के सहयोग से और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने की पहल शासन द्वारा शुरू की गई है।


रोका-छेका योजना के लिए ग्रामों में व्यवस्था
 छत्तीगसढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी कार्यक्रम संचालित है। गांवों में पशुओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सामूहिक गौठान बने है। गौठानों के बन जाने से गांवों में पशुओं की देख-रेख एवं उनके चारे-पानी का प्रबंध बेहतर ढंग से होने लगा है। रोका-छेका की उपयोगिता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि अब सामूहिक गौठान के रूप में विकल्प ग्रामीणों के पास उपलब्ध हैं, जहां मवेशियों के लिए पर्याप्त मात्रा में चारा है। जिले में गौठान न केवल पशुधन संवर्धन के केंद्र के रूप में उभरे हैं अपितु आजीविका मूलक गतिविधियों के सृजन के लिए भी माध्यम बने हैं। 

वर्जन...
आपके द्वारा हमे जानकारी प्राप्त हुई है , सभी पशुओं को जल्द से जल्द घुमंतू पशुओं को गौठान और कांजी हाउस में भेजा जाएगा।
प्रवीण कुमार उपाध्याय
सी.एम.ओ. नगर पंचायत भटगांव